जब भी कोई व्यक्ति पहली बार ओवरड्राफ्ट के बारे में सुनता है तो वह यही सोचता है की ओवरड्राफ्ट क्या होता है? और ओवरड्राफ्ट काम कैसे करता है? या ओवरड्राफ्ट के फायदे क्या होते है और ओवरड्राफ्ट के नुकसान क्या होते है।
तो अगर आप भी उन्ही लोगो में से एक है और नहीं जानते है की ओवरड्राफ्ट क्या होता है तो आपको इस आर्टिकल में ओवरड्राफ्ट की पूरी जानकारी मिलेगी। बस आपको इस आर्टिकल को ध्यान से पढ़ना है।
इस आर्टिकल में आपको बताया जाएगा की ओवरड्राफ्ट क्या होता है? ओवरड्राफ्ट सुविधा कैसे काम करती है? ओवरड्राफ्ट के फायदे क्या होते है और ओवरड्राफ्ट के नुकसान क्या होते है।
इसके साथ आपको बताया जाएगा की ओवरड्राफ्ट सीमा कैसे तय की जाती है? आपको यह जानकार हैरानी होगी की ओवरड्राफ्ट कई प्रकार के होते है जी हाँ, इस आर्टिकल में आपको यह भी बताया जाएगा की ओवरड्राफ्ट कितने प्रकार के होते है?
इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आप ओवरड्राफ्ट के बारे में अच्छे से समझ जाएंगे और ओवरड्राफ्ट सुविधा का बेहतर तरीके से इस्तेमाल कर पाएंगे।
ओवरड्राफ्ट क्या होता है?
ओवरड्राफ्ट एक ऋण सुविधा (loan facility) है जिसमे बैंक अपने ग्राहक को उनके बैंक खाते में उपलब्ध राशि से अधिक राशि निकालने की अनुमति देता है। यह पैसा बैंक ग्राहक को लोन के रूप में देता है जिस पर बैंक ग्राहक से ब्याज वसूलता है।
ओवरड्राफ्ट की सुविधा बैंक करंट अकाउंट, सैलरी अकाउंट, जीरो बैलेंस अकाउंट, जनधन अकाउंट या पेंशन अकाउंट पर देता है। इसके साथ कई बैंक high deposit अकाउंट पर भी ओवरड्राफ्ट की सुविधा प्रदान करते है।
आसान शब्दों में कहे तो यह एक प्रकार का लोन ही होता है या पूर्व स्वीकृत ऋण (pre approved loan)। इस ऋण राशि को ग्राहक कभी भी इस्तेमाल कर सकता है और किसी भी लोन की तरह इस पर भी बैंक ग्राहक से ब्याज वसूलता है।
ओवरड्राफ्ट सुविधा कैसे काम करती है?
आप यह तो समझ गए की ओवरड्राफ्ट क्या होता है। अब बात करते है की ओवरड्राफ्ट सुविधा कैसे काम करती है। आइये इसे एक उदाहरण के साथ समझते है।
मान लीजिये: आपने किसी बैंक में एक करंट अकाउंट खुलवाया है जिसमें आप अपने व्यापार की लेनदेन करते है। अब आपने अपने इस अकाउंट में ओवरड्राफ्ट की सुविधा ली हुई है जिसके तहत बैंक ने आपको 20,000 रुपये की ओवरड्राफ्ट की लिमिट दी हुई है।
अब किसी दिन आपके करंट अकाउंट में शेष बैलेंस 10,000 रुपये ही है जबकि आपको 25,000 रुपये की जरुरत है तो इस स्थिति में आप अपने अकाउंट से बिना किसी रुकावट के 25,000 रुपए निकाल सकते है 10,000 रुपये आपका शेष बैलेंस और बाकि के 15,000 रुपये ओवरड्राफ्ट के।
इस तरह आप अपने अकाउंट से अधिकतम 30,000 रुपये तक निकाल सकते है। यह पैसा जो आप ओवरड्राफ्ट के अंतर्गत निकालते है यह बैंक आपको लोन के रूप में देगा। जिस पर आपको ब्याज देना होगा।
ओवरड्राफ्ट सीमा कैसे निर्धारित की जाती है?
ओवरड्राफ्ट सीमा किसी व्यक्ति, व्यवसाय या निगम के लेन-देन के इतिहास द्वारा निर्धारित की जाती है। यह सीमा बैंक द्वारा निर्धारित की जाती है। बैंक के मापदंड प्रत्येक खाते के लिए अलग हो सकते है जैसे करंट अकाउंट, सैलरी अकाउंट, पेंशन अकाउंट आदि।
अधिकांश लोग ओवरड्राफ्ट की सुविधा करंट अकाउंट पर ही लेते तो हम करंट अकाउंट को अपना आधार
करंट अकाउंट में ओवरड्राफ्ट लिमिट आपकी वार्षिक कारोबार (annual turnover) से तय होती है। बैंक खाता धारक का सालाना टर्नओवर को देखता है और फिर उसे मासिक टर्नओवर में बदलकर लिमिट को सेट करता है।
मान लीजिए की आपका सालाना टर्नओवर 4,80,000 रुपये का है तो आपकी ओवरड्राफ्ट की लिमिट 40,000 रुपये होगी। कुछ बैंक 2 महीने के मासिक टर्नओवर पर भी लिमिट देता है तो उस स्थिति में आपकी ओवरड्राफ्ट लिमिट 80,000 रुपये बनेगी।
यह पूरी तरह से बैंक पर निर्भर करता है कुछ बैंक एक महीने की टर्नओवर पर ओवरड्राफ्ट लिमिट देते है कुछ 2 महीने पर ओवरड्राफ्ट लिमिट देते है तो कुछ 6 महीने पर भी ओवरड्राफ्ट लिमिट देते है लेकिन प्रत्येक बैंक आपकी सालाना टर्नओवर को ही आधार बनाकर लिमिट को सेट करता है।
ओवरड्राफ्ट कितने प्रकार के होते है?
ओवरड्राफ्ट मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं – सुरक्षित ओवरड्राफ्ट (Secured Overdraft) और असुरक्षित ओवरड्राफ्ट (Unsecured Overdraft)
सुरक्षित ओवरड्राफ्ट (Secured Overdraft) – सुरक्षित ओवरड्राफ्ट जैसे इसके नाम से ही पता चल रहा है की यह एक सुरक्षित ओवरड्राफ्ट है। इसमें बैंक ग्राहक की संपत्ति, घर, जमीन, जेवर या कार आदि को गिरवी रखकर ओवरड्राफ्ट अकाउंट की सुविधा देता है।
अगर ग्राहक किसी भी कारणवश ऋण चुका नहीं पाता है तो बैंक ग्राहक की संपत्ति जब्त कर लेता है और उस संपत्ति को बेचकर अपना ऋण वसूल करता है। इस तरह के ओवरड्राट में बैंक का किसी भी प्रकार का कोई नुकसान नहीं होता है।
असुरक्षित ओवरड्राफ्ट (Unsecured Overdraft) – असुरक्षित ओवरड्राफ्ट को भी आप काफी हद तक नाम से ही पहचान सकते है। इसमें बैंक ग्राहक से ओवरड्राफ्ट की सुविधा के बदले में किसी भी प्रकार की कोई संपत्ति या सुरक्षा नहीं लेता है।
इस स्थिति में अगर ग्राहक ऋण का भुगतान नहीं करता है तो बैंक ग्राहक का कुछ भी नहीं कर सकता है और अन्तः बैंक को उसका नुकसान उठाना पड़ता है। इसीलिए असुरक्षित ओवरड्राफ्ट में शुरुआत में ग्राहक को बहुत ही कम लिमिट दी जाती है।
नीचे कुछ सामान्य प्रकार के ओवरड्राफ्ट दिए हुए हैं।
Overdraft Against Salary – अगर किसी व्यक्ति का सैलरी अकाउंट किसी बैंक में है तो वह व्यक्ति अपनी सैलरी पर उस बैंक में ओवरड्राफ्ट की सुविधा ले सकता है। बैंक उस व्यक्ति को उसकी सैलरी के आधार पर ओवरड्राफ्ट की सुविधा प्रदन कर सकती है।
सैलरी पर ओवरड्राफ्ट लेने के लिए यह जरूरी है की उस व्यक्ति की सैलरी उस बैंक में हर महीने जमा होती हो। इसके साथ उस व्यक्ति की कंपनी उस बैंक की अनुमोदन सूची (approval list) में शामिल हो।
सैलरी अकाउंट के बारे में अधिक जानकारी के लिए पढ़े: सैलरी अकाउंट क्या होता है
Overdraft on Savings Account – ओवरड्राफ्ट की सुविधा बैंक उन सेविंग अकाउंट पर भी देता है जिन सेविंग अकाउंट में लगातार भारी लेनदेन होती है। इसके साथ बैंक कुछ सरकार द्वारा समर्थित अकाउंट पर भी ओवरड्राफ्ट की सुविधा देता है जैसे जनधन अकाउंट।
सेविंग अकाउंट के बारे में अधिक जानकारी के लिए पढ़े: सेविंग अकाउंट क्या होता है
भारत सरकार द्वारा प्रधान मंत्री जनधन योजना के तहत खोलें गए सभी सेविंग अकाउंट पर बैंक 5,000 रूपये की ओवरड्राफ्ट लिमिट भी देता है लेकिन इसके लिए बैंक के कुछ अतिरिक्त मापदंड भी है।
जनधन अकाउंट में ओवरड्राफ्ट की सुविधा लेने के लिए इस अकाउंट का आधार से लिंक होना आवश्यक है और यह अकाउंट 6 महीने से सक्रिय होना चाहिए। इसके साथ परिवार का कोई एक जन ही इस सुविधा का लाभ उठा सकता है और वह व्यक्ति कमाऊ होना चाहिए।
बैंक बेरोजगार को ओवरड्राफ्ट की सुविधा प्रदान नहीं करता है।
Overdraft Against Fixed Deposit – कुछ बैंक एफडी पर ओवरड्राफ्ट की सुविधा देता है। इसके तहत खाताधारक एक निश्चित प्रतिशत तक अकाउंट से पैसे निकाल सकता है। प्रत्येक बैंक यह सुविधा प्रदान नहीं करता है।
Overdraft Against House – बैंक मकान मालिक को भी ओवरड्राफ्ट की सुविधा देता है। मकान मालिक अपने घर के मूल्य का 40-50% तक ओवरड्राफ्ट के रूप में निकाल कर सकते हैं लेकिन यह सुरक्षित ओवरड्राफ्ट है तो इसमें मकान मालिक को अपनी संपत्ति गिरवी रखनी होगी।
Overdraft Against Insurance Policy – अगर ग्राहक की कोई बीमा पालिसी है तो बैंक उसक बीमा पालिसी पर ओवरड्राफ्ट सुविधा दे सकता है। इसका फैसला पूरी तरह से बीमा पॉलिसी के आधार पर ही लिया जाता है।
ओवरड्राफ्ट के फायदे और नुकसान क्या है?
ओवरड्राफ्ट के फायदे क्या है? | ओवरड्राफ्ट के नुकसान क्या है? |
चेक बाउंस होने से रोकता है। | अधिक ब्याज दर होती है। |
अधिक नकदी निकालने में मदद करता है। | ओवरड्राफ्ट सुविधा का लाभ केवल एक खाताधारक उठा सकता है। |
तत्काल नकदी की आवश्यकता को पूरा करना है। | ओवरड्राफ्ट लिमिट व्यक्ति की वित्तीय हालत पर निर्भर करती है। |
न्यूनतम कागजी कार्रवाई से इस सुविधा का लाभ लिया जा सकता है। | ओवरड्राफ्ट लिमिट से अधिक नकदी निकालने पर दंड का भुगतान कर पड़ता है। |
ब्याज का भुगतान केवल उपयोग की गई राशि पर किया जाता है। | ओवरड्राफ्ट अल्पकालिक ऋण होता है जिसे जल्दी चुकाया जाता है। |
समय पर ओवरड्राफ्ट का भुगतान न करने पर सिबिल स्कोर ख़राब होता है। |
FAQs
क्या बैंक ओवरड्राफ्ट एक खर्च है?
हाँ, आप ऐसा कह सकते है क्योंकि यह बैंक का पैसा होता है जिसे इस्तेमाल करने पर आपको ब्याज देना होता है।
ओवरड्राफ्ट का भुगतान कैसे किया जाता है?
ओवरड्राफ्ट का भुगतान बैंक खाते में ऑनलाइन या ऑफलाइन राशि जमा करके किया जा सकता है।
ओवरड्राफ्ट का भुगतान न करने से सिबिल स्कोर प्रभावित होगा?
जी हाँ, अगर आप समय से अपने ओवरड्राफ्ट का भुगतान नहीं करते है तो इससे आपके सिबिल स्कोर पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।
आशा है कि यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी रहा होगा। और अब आप समझ गए होंगे की ओवरड्राफ्ट क्या होता है? इस आर्टिकल में आपको ओवरड्राफ्ट की पूरी जानकारी हिंदी में दी हुई है जिससे आपको ओवरड्राफ्ट समझने में मदद मिल सके। अगर आपको यह आर्टिकल अच्छा लगा हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करे। और अगर अब भी आपका ओवरड्राफ्ट से संबंधित कोई भी अन्य सवाल हो तो कमेंट सेक्शन आपके लिए ही है। इसका खुलकर उपयोग करें।