लोन सेटलमेंट क्या होता है? लोन सेटलमेंट की पूरी जानकारी

दोस्तों क्या आप जानते है कि लोन सेटलमेंट क्या होता है? यह कब होता है? और किन परिस्थितियों में होता है? इसके क्या लाभ और क्या हानि होती है? लोन सेटलमेंट करवाना चाहिए या नहीं करवाना चाहिए। आपको लोन सेटलमेंट से सम्बंधित पूरी जानकारी हमारे इस आर्टिकल में मिलेगी।

इस आर्टिकल में आपको विस्तार से बताया जाएगा की लोन सेटलमेंट क्या होता है? लोन सेटेलमेंट के फायदे क्या है और लोन सेटेलमेंट के नुकसान क्या है? और भी बहुत कुछ अगर आप लोन सेटेलमेंट से संबंधित जानकारी जानना चाहते है तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़े।

लोन क्या होता है? लोन कितने प्रकार का होता है?

लोन सेटलमेंट क्या होता है?

लोन सेटलमेंट लोन को समाप्त करने की एक प्रक्रिया है, जिसके अंतर्गत लेनदार द्वारा लोन का कुछ हिस्सा भुगतान करके लोन को समाप्त कर दिया जाता है। लोन की इस प्रक्रिया में लेनदार को मूलधन का कुछ हिस्सा भुगतान करना होता है तथा वह अपने लोन से छुटकारा प्राप्त कर लेता है।

जब आप 3 महीनो तक लोन का भुगतान नहीं करेंगे तो लोन कंपनी आपको (NPA) नॉन परफोर्मिंग एसेट की कटेगरी में डाल देगी। तथा फिर बैंक या लोन कंपनी रिकवरी एजेंसी द्वारा आपको लोन भुगतान करने के लिए कहेगी। रिकवरी एजेंसी वाले आपको बहुत फ़ोन कॉल करेंगे और आपके घर पर भी विजिट करेंगे।  आपको लोन का भुगतान करने के लिए कहेंगे और बहुत परेशान करेंगे।

जब लोन कंपनी सभी तरफ से आपको लोन का भुगतान करने के लिए कहेगी और आप फिर भी लोन का भुगतान नहीं कर पाएंगे तो लास्ट में लोन कंपनी आपको वन टाइम लोन सेटलमेंट का ऑप्शन देती है।

लोन सेटलमेंट दोनों पार्टियों की सहमति से होता है, इसमें दोनों पार्टियों के बीच में आपस में समझौता होता है की लेनदार कहता है मैं लोन का इतना पैसा दूंगा और लोन कंपनी की यदि उस अमाउंट में हाँ होती है तो फिर ये दोनों एक समझौते पर हस्ताक्षर करते है जिसमे कोई भी किसी के साथ धोखा नहीं कर सकता है।

आसान शब्दों में कहे तो लोन सेटलमेंट लोन को समाप्त करने की एक प्रक्रिया है, जिसके अंतगत दोनों पार्टियों की सहमति से लोन का कुछ हिस्सा भुगतान करके लोन को समाप्त किया जाता है, तथा लेनदार के अकाउंट में सेटेल्ड को दर्ज कर दिया जाता है।

लोन सेटलमेंट कब किया जाता है?

लोन सेटलमेंट लोन कंपनियों द्वारा तब करने का सोचा जाता है जब लेनदार लोन का भुगतान करने में असमर्थ होता है, वह लोन का भुगतान नहीं कर पता है, तथा 91 या इससे अधिक दिनों तक लोन का भुगतान नहीं करता है, तब कंपनी लेनदार को लोन को समाप्त करने का वन टाइम सेटलमेंट का ऑप्शन देती है। तथा लेनदार के अकाउंट में सेटेल्ड दर्ज कर देती है।

जिस अकाउंट में सेटेल्ड दर्ज होता हैं उसे भविष्य में दुबारा लोन लेने के लिए बहुत से मुसीबतो का सामना करना पड़ता है। जिस बैंक में आप लोन को सेटेल्ड करवा रहे है वह बैंक या लोन कंपनी आपको दुबारा लोन नहीं देगी, सेटल्ड के दर्ज होने से आपका सिबिल स्कोर भी ख़राब होता है।

लोन सेटलमेंट किन परिस्थितियों में होता है ?

दोस्तों अब आप सोच रहे होंगे की लोन ले और सेटलमेंट करवा ले, लेकिन दोस्तों यह इतना आसान नहीं होता है इसमें भविष्य में बहुत सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

लोन कंपनी हर किसी को लोन सेटलमेंट का ऑप्शन नहीं देती है, लोन सेटलमेंट कुछ ही लोगो के साथ किया जाता है क्योंकि लोन सेटलमेंट से लोन कंपनी या बैंक को नुकसान होता है, इसलिए हर किसी को लोन सेटलमेंट का ऑप्शन नहीं दिया जाता है।

  1. लोन सेटलमेंट का ऑप्शन उनको दिया जाता है, जिनको बिज़नेस में बहुत बड़ी हानि होती है और वह लोन का भुगतान करने में असमर्थ होता है उसको लोन कंपनी सेटलमेंट का ऑप्शन देती है।
  2. जब कभी किसी का दिवालिया हो जाता है तो उस स्तिथि में लोन सेटलमेंट का ऑप्शन दिया जाता है। 
  3. ऐसा लेनदार जिसके बारे में बैंक या लोन कंपनी को पता चलता है की वह लेनदार किसी भी वजह से लोन का भुगतान करने में असमर्थ है तो लोन सेटलमेंट का ऑप्शन दिया जाता है।

क्या लोन सेटलमेंट करना चाहिए?

लोन सेटलमेंट करने से लोन के भुगतान से छुटकारा मिल जाता है, और लोन की रिकवरी एजेंसी द्वारा बार-बार किये जाने वाले फ़ोन कॉल से भी छुटकारा मिल जाता है लेकिन दोस्तों लोन का सेटलमेंट करने के द्वारा आपको भविष्य में बहुत सी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

यदि आप लोन का सेटलमेंट करते है तो आप भविष्य में दुवारा आसानी से लोन नहीं ले सकते है। आपको दुबारा लोन लेने में बहुत सी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। क्योंकि आपके अकाउंट में सेटल्ड लिखा आता है, जिससे की लोन कंपनी पर एक बुरा असर पड़ता है।

लोन सेटलमेंट करने से आपके सिबिल पर भी बहुत बुरा असर पड़ता है इससे आपका सिबिल स्कोर भी ख़राब हो जाता है तो लोन सेटलमेंट के फायदे कम और नुकसान ज्यादा है। इसलिए कोशिश करे की लोन सेटलमेंट न ही करे और यदि आप करे तो लोन सेटलमेंट के बारे में अच्छे से जानने के बाद ही बड़ी ही सोच समझ कर लोन का सेटलमेंट करे।

लोन सेटलमेंट के फायदे क्या है?

लोन से छुटकारा – लोन सेटलमेंट करने के बाद लेनदार को लोन से छुटकारा मिल जाता है, तथा वह महीने की लोन पेमेंट से मुक्त हो जाता है।

रिकवरी एजेंसी से छुटकारा – लोन सेटलमेंट के बाद लेनदार को लोन की रिकवरी एजेंसी से छुटकारा प्राप्त हो जाता है, तथा उसे रिकवरी एजेंसी द्वारा बार बार परेशान नहीं होना पड़ता है।

चिंता मुक्त – लोन सेटलमेंट से लेनदार अपनी चिंताओं से मुक्त हो जाता है क्योंकि लोन एक लेनदार के लिए एक बोझ की तरह होता है जिसे चुकाने के लिए लेनदार को बहुत चिंता रहती है तथा रिकवरी एजेंसी द्वारा लेनदार को बहुत ही परेशान किया जाता है सेटलमेंट के बाद लेनदार अपनी लोन की सभी तरह की चिंताओं से मुक्त हो जाता है।

ब्याज से छुटकारा – लोन सेटलमेंट से लेनदार को हर महीने लोन के ब्याज से छुटकारा मिल जाता है उसे लोन सेटलमेंट के बाद कोई ब्याज नहीं देना होता है।

लोन सेटलमेंट के क्या नुकसान है?

दुबारा लोन लेने में दिक्कतों का सामना – जब लेनदार एक बार लोन का सेटलमेंट कर लेता है तो उसे दुबारा लोन लेने के लिए बहुत सी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, उसे कोई भी आसानी से लोन नहीं देता है।

अकाउंट में सेटल्ड दर्ज होना – लेनदार के सिबिल अकाउंट में लोन सेटलमेंट के बाद सेटल्ड दर्ज कर दिया जाता है जिससे की लेनदार का जब भी सिबिल चेक किया जाएगा तो सेटल्ड लिखा होने की वजह से उसे कोई भी लोन देने के लिए राज़ी नहीं होगा।

अकाउंट में सेटल्ड दर्ज होने का मतलब है की लेनदार ने लोन लेने के बाद उसका भुगतान नहीं किया जिससे बैंक या लोन कंपनी को हानि उठानी पड़ी।

क्रेडिट कार्ड का आवेदन अस्वीकार – लोन सेटलमेंट करने के बाद लेनदार जब कभी क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन करता है तो उसका आवेदन अस्वीकार कर दिया जाता है, उसे क्रेडिट कार्ड नहीं दिया जाता है, जबकि क्रेडिट कार्ड आज लोगो की जरूरत बन चुका है।

सिबिल स्कोर का ख़राब होना – जब लेनदार लोन का सेटलमेंट करता है तो लेनदार के अकाउंट में सेटल्ड दर्ज कर दिया जाता है जिससे लेनदार का सिबिल स्कोर पर बुरा असर पड़ता है सिबिल स्कोर ख़राब हो जाता है। और लोन लेने के लिए सिबिल स्कोर का अच्छा होना बहुत जरुरी होता है वर्ना कोई भी लेनदार को सिबिल ख़राब होने की वजह से लोन नहीं देगा।

भविष्य में  दिक्कतों का सामना – एक बार लोन सेटलमेंट होने के बाद अकाउंट में सेटल्ड दर्ज होने के बाद कोई भी कंपनी या बैंक लेनदार को लोन नहीं देगा। जिससे लेनदार को भविष्य में आगे चल कर दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

यदि लेनदार दुबारा लोन लेता है तो वह प्राइवेट कंपनी द्वारा लोन तो ले लेता है परन्तु वह लोन को हानि में लेता है क्योंकि प्राइवेट लोन कंपनी लोन पर बहुत ज्यादा व्याज लगाती है, जिससे लेनदार को बहुत हानि होती है।

दोस्तों अब सवाल ये आता है की लोन सेटलमेंट के बाद क्या कोई दूसरा तरीका भी है जिससे की हमारा सिबिल भी अच्छा हो जाये और अकाउंट से सेटल्ड भी हट जाये जी हाँ दोस्तों हो सकता है। अगर आपने लोन सेटलमेंट करवा दिया हो तो आपके पास लोन अकाउंट को बंद करवाने का एक ऑप्शन होता है।

आप अपने अकाउंट को बंद करवा सकते है और  सभी सुविधाओं का लाभ दुबारा बिना परेशानियों के ले सकते है। लोन अकाउंट को क्लोज करवाने के लिए आपको अपने बैंक या लोन कंपनी से बात करनी होगी तथा अपनी बची हुई पेमेंट का भुगतान कर आप अपना अकाउंट क्लोज करवा सकते है और आपके लोन अकाउंट से सेटल्ड हट जाएगा। और क्लोज लिखा हुवा आएगा। जो की सिबिल के लिए बहुत अच्छा है।

दोस्तों उम्मीद है आपको लोन सेटलमेंट से सम्बंधित सभी सवालो के जवाब मिल गए होंगे। और अब आप समझ गए होंगे की लोन सेटलमेंट क्या होता है? अगर अब भी आप लोन सेटलमेंट से सम्बंधित कोई भी जानकारी जानना चाहते है तो आप हमे नीचे कमेंट करके पूछ सकते है।

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Authored By Prabha Sharma
Hello, My name is Prabha Sharma and I am the author of BankMadad.com. I graduated from Delhi University and I love writing about banking and finance.

3 thoughts on “लोन सेटलमेंट क्या होता है? लोन सेटलमेंट की पूरी जानकारी”

  1. Mera CREĎIT CARD ka 2017 se 43000/_ amount ka interest ke sath 71972/_ ho gya he. Or me bharne ke liye saksham nahi hu. Me aange ghar or car ke liye loan lena chahta hu. Plz upay bataye.

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