सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की जानकारी।

क्या आप जानना चाहते है सेंट्रल बैंक की जानकारी क्या है? तो आप बिल्कुल ठीक जगह पर आए है। इस आर्टिकल में आपको सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की जानकारी मिलेगी। जिससे आप सेंट्रल बैंक के इतिहास के बारे में अच्छे से जान पाएंगे।

अगर आप सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में खाता खोलने की सोच रहे है या आपका पहले से ही सेंट्रल बैंक में खाता है तो आपको सेंट्रल बैंक के इतिहास के बारे में जरूर पता होना चाहिए। किसी भी बैंक में खाता खोलने से पहले हमे उस बैंक के बारे में कुछ बुनियादी जानकारी पता होनी चाहिए। जिससे हम यह सुनिश्चित हो सके की हमारा पैसा जिस बैंक में है वह पूरी तरह सुरक्षित है।

अगर आप सेंटल बैंक ऑफ इंडिया का इतिहास जानना चाहते है? अगर आप इसकी स्थापना और सेंट्रल बैंक से जुड़ी सभी जानकारी जानना चाहते है तो आपको इस आर्टिकल को जरूर पढ़ना चाहिए।

इस आर्टिकल में आपको सम्पूर्ण सेंट्रल बैंक की जानकारी मिलेगी। इसके साथ आपको सेंट्रल बैंक का इतिहास भी बताया जाएगा। और आपको आपके लगातार पूछे जाने वाले सवालो के जवाब भी मिलेंगे। जैसे सेंट्रल बैंक का क्या नाम है? सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया सरकारी है या प्राइवेट? और क्या सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया राष्ट्रीयकृत बैंक है? आदि।

सेंट्रल बैंक की जानकारी।

सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया 21 दिसंबर 1911 को स्थापित किया गया था यह भारत का पहला वाणिज्यिक बैंक था जिसका पूर्ण स्वामित्व और प्रबंधन भारतीयों के पास था। सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया एक भारतीय राष्ट्रीयकृत बैंक है। यह अपने नाम के अनुसार भारत का केंद्रीय बैंक नहीं है। भारत का केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक ही है।

central bank of india

सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की स्थापना सन 1911 में स्वदेशी आन्दोलन से प्रभावित होकर एक पारसी बैंकर सर सोराबजी पोचखानवाला के द्वारा की गयी थी। सोराबजी पोचखानवाला सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की स्थापना से इतने गौरवान्वित हुए थे कि उन्होंने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को राष्ट्र की सम्पत्ति घोषित कर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया जनता के विश्वास पर टिका है और यह जनता का अपना बैंक है।

सेंट्रल बैंक की पहली शाखा मांडवी, मुंबई में 1 मई, 1912 में खोली गई थी। मुंबई के बाहर बैंक की पहली शाखा अगस्त 1913 में कराची में खोली गई थी। इसके बाद सेंट्रल बैंक ने कोलकाता में सन 1916 में अपना परिचालन शुरू किया था। इसके बाद जून 1918 में लाहौर में एक शाखा खोलकर सेंट्रल बैंक ने पंजाब में विस्तार किया। उस समय पंजाब नेशनल बैंक के मुख्य प्रबंधक और सचिव श्री नंदलाल पुरी पंजाब के मुख्य एजेंट के रूप में कार्यरत थे।

सन 1932 और 1934 के बीच सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने पंजाब में मंडी शाखाएं खोली। ये शाखाएँ गाँवों में फसलों की कटाई के समय खोली गई थीं। जिससे किसान अपनी उपज का भंडारण कर सकते थे और कीमतों की स्थापना तक उन्हें अग्रिम दिया जाता था। फिर शाखाओं को बंद कर दिया गया और अगली फसल के लिए समय पर फिर से खोल दिया गया। सेंट्रल बैंक इन विशेष शाखाओं को खोलने वाला पहला बैंक था।

इसके अलावा आरबीआई और भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुरूप सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया कृषि उद्योग, लघु उद्योग के साथ-साथ मध्यम और बड़े उद्योगों के प्रमुख क्षेत्रों को बढ़ावा देने में तेजी से सक्रिय भूमिका निभा रहा है। इसके साथ सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने शिक्षित युवाओं के बीच रोजगार को बढ़ावा देने के लिए कई स्वरोजगार योजनाएं भी शुरू कीं है।

सेंट्रल बैंक सन 1921 में नगर पालिकाओं, पोर्ट ट्रस्टों, विश्वविद्यालयों और अन्य सार्वजनिक निकायों के धन जमा करने के लिए सरकार द्वारा अनुमोदित (approved) होने वाला पहला भारतीय प्रबंधित बैंक बन गया था।

सन 1923 में दो घटनाएं घटी जिन्होंने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को मजबूत और स्थापित किया था।

सबसे पहली घटना यह थी की यूनियन बैंक ऑफ इंडिया को सन 1919 में धनी भारतीय व्यापारियों द्वारा स्थापित किया गया था जो अर्थव्यवस्था में मंदी, ख़राब ऋण और कार्यालय परिसर की खरीद पर किए गए भारी व्यय के कारण यूनियन बैंक ऑफ इंडिया काफी भारी संकट में था।

इसके बाद सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने बैंक को प्रबंध एजेंट के रूप में प्रबंधित करने के प्रस्ताव के साथ यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से संपर्क किया। और फिर श्री पोचखानावाला को यूनियन बैंक ऑफ इंडिया का प्रबंध निदेशक नियुक्त किया गया। अन्य केंद्रीय बैंकरों जैसे सर फिरोज सेठना (सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के अध्यक्ष) को भी यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के बोर्ड में आमंत्रित किया गया था।

इसके बाद सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया का पुनर्गठन किया, अनावश्यक पूंजी को कम किया, अपने खराब कर्ज का एक बड़ा हिस्सा वसूल किया और अपने प्रबंधन को सुव्यवस्थित किया। यह पहली बार था जब एक बैंक ने दूसरे बैंक का प्रबंधन संभाला था।

दूसरी घटना थी टाटा इंडस्ट्रियल बैंक का सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में विलय होना। यह भारतीय बैंकिंग इतिहास में पहला विलय था। टाटा इंडस्ट्रियल बैंक की स्थापना दिसंबर 1917 में 12 करोड़ रुपये की अधिकृत पूंजी के साथ की गई थी और इसका प्रबंधन यूरोपीय लोगों द्वारा किया जाता था।

इसके साथ बैंक को विनिमय घाटे का सामना करना पड़ा और गठबंधन बैंक ऑफ शिमला की विफलता से बुरी तरह प्रभावित हुआ। इसके निवेश में तेजी से कमी आने लगी। मार्च 1923 के अंत में इसकी जमा राशि में 6 करोड़ रुपये से तेजी से गिरावट आई और उस वर्ष अगस्त के अंत में 2 करोड़ रुपये से थोड़ा अधिक हो गया।

भले ही सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की चुकता पूंजी उस समय 75 लाख रुपये थी, जबकि टाटा इंडस्ट्रियल बैंक की चुकता पूंजी 2.27 करोड़ रुपये थी, श्री सोराबजी पोचखानावाला ने समामेलन की एक योजना का प्रस्ताव रखा जिसके द्वारा सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का एक हिस्सा टाटा इंडस्ट्रियल बैंक के दो शेयरों के लिए आदान-प्रदान किया गया था। टाटा इंडस्ट्रियल बैंक के दो निदेशक एन.बी. सकलतवाला और एफ.ई. दिनशॉ ने विलय का समर्थन किया था।

सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने 1936 में राष्ट्र की सेवा के 25 वर्ष पूरे किए। इसके बाद सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने अपनी सिल्वर जुबली को मनाया।

इसके बाद सन 1937 में 4 जुलाई को सर सोराबजी पोचखानावाला का निधन हो गया था। सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के लिए यह एक मजबूत खम्बा खोना था लेकिन इसके बाद बैंक सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया आगे बढ़ता गया और आज आपके सामने है।

FAQs

सेंट्रल बैंक का क्या नाम है?

सेंट्रल बैंक का पूरा नाम “सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया” है।

सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का मुख्यालय कहाँ है?

सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का मुख्यालय मुंबई, महाराष्ट्र में है।

सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया सरकारी है या प्राइवेट?

सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया सरकारी बैंक है।

क्या सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया राष्ट्रीयकृत बैंक है?

हाँ, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया एक भारतीय राष्ट्रीयकृत बैंक है।

मुझे उम्मीद है की इस आर्टिकल में दी गई जानकारी आपके लिए उपयोगी रही होगी। और अब आप समझ गए होंगे की सेंट्रल बैंक की जानकारी क्या है? अगर अब भी आपको किसी भी प्रकार की सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की जानकारी चाहिए। तो आप हमे नीचे कमेंट करके पूछ सकते है।

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Authored By Prabhat Sharma
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