क्या आप भी बैंक ऑफ बड़ौदा की जानकारी जानना चाहते है तो आप बिल्कुल ठीक जगह पर आए है। इस आर्टिकल में आपको बैंक ऑफ बड़ौदा की जानकारी मिलेगी। जिसे पढ़कर आप अच्छी तरह समझ जाएंगे की बैंक ऑफ बड़ौदा का इतिहास क्या है और इसकी स्थापना कैसे और कब हुई थी।
इस आर्टिकल में आपको बैंक ऑफ बड़ौदा की जानकारी मिलेगी। इसके साथ इसमें आपको बताया जाएगा की बैंक ऑफ बड़ौदा का इतिहास क्या है? इसके साथ बैंक ऑफ बड़ौदा की स्थापना कब हुई थी। बैंक ऑफ बड़ौदा से सम्बंधित ऐसे सवालों के जवाब पाने के लिए इस आर्टिकल को पूरा पढ़े।
बैंक ऑफ बड़ौदा की जानकारी।
बैंक ऑफ बड़ौदा एक भारतीय राष्ट्रीयकृत बैंकिंग और वित्तीय सेवा कंपनी है। यह भारत में चौथा सबसे बड़ा राष्ट्रीयकृत बैंक है। इसका मुख्यालय भारत के वडोदरा शहर में है। बैंक ऑफ बड़ौदा के भारत में 13,2 करोड़ से ज्यादा ग्राहक है।
बैंक ऑफ बड़ौदा का कुल कारोबार 218 बिलियन अमेरिकी डॉलर का है और इसकी 100 विदेशी कार्यालयों की वैश्विक उपस्थिति है। 2019 के आंकड़ों के आधार पर फोर्ब्स ग्लोबल 2000 की सूची में इसे 1145वां स्थान दिया गया है।
बैंक ऑफ बड़ौदा की 8185 शाखाएं, 256 कार्यालय और 13,400 एटीएम है। बैंक ऑफ बड़ौदा में 85,000 कर्मचारी काम करते हैं और बैंक 12 करोड़ से अधिक ग्राहकों को सेवा प्रदान करता हैं।
बैंक ऑफ बड़ौदा की भारत को छोड़कर अन्य देशों में 95 शाखाएं / कार्यालय हैं। इसके साथ थाईलैंड में 1 प्रतिनिधि कार्यालय भी शामिल हैं।
बैंक ऑफ बड़ौदा का इतिहास क्या है?
बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ III ने 20 जुलाई 1908 को गुजरात के बड़ौदा राज्य में इस बैंक की स्थापना की। भारत सरकार द्वारा भारत के अन्य 13 प्रमुख वाणिज्यिक बैंकों के साथ इसका 19 जुलाई 1969 को राष्ट्रीयकरण कर दिया गया और लाभ कमाने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (PSU) के रूप में निर्धारित किया गया।
इसके दो साल बाद बैंक ऑफ बड़ौदा ने अहमदाबाद में अपनी पहली शाखा स्थापित की थी। बैंक ऑफ बड़ौदा द्वितीय विश्व युद्ध के बाद तक घरेलू स्तर पर विकसित हुआ।
इसके बाद सन 1953 में इसने केन्या में भारतीयों और युगांडा में भारतीयों के समुदायों की सेवा करने के लिए मोम्बासा और कंपाला में एक-एक शाखा स्थापित करके हिंद महासागर को पार किया। इसके एक साल बाद बैंक ऑफ बड़ौदा ने केन्या में नैरोबी में दूसरी शाखा खोली और 1956 में तंजानिया में दार-एस-सलाम में एक शाखा खोली।
इसके बाद 1957 में बैंक ऑफ बड़ौदा ने लंदन में एक शाखा स्थापित करके विदेश में एक बड़ा कदम उठाया। लंदन ब्रिटिश राष्ट्रमंडल का केंद्र था और सबसे महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग केंद्र भी था।
1961 में बैंक ऑफ बड़ौदा ने न्यू सिटिजन बैंक ऑफ इंडिया का अधिग्रहण किया। इस विलय से उसे महाराष्ट्र में अपने शाखा नेटवर्क को बढ़ाने में मदद मिली। इसके बाद बैंक ऑफ बड़ौदा ने फिजी में भी एक शाखा खोली। अगले वर्ष बैंक ऑफ बड़ौदा ने मॉरीशस में एक शाखा खोली थी।
सन 1963 में बैंक ऑफ बड़ौदा ने सूरत गुजरात में, सूरत बैंकिंग कॉर्पोरेशन का अधिग्रहण किया था। अगले वर्ष बैंक ऑफ बड़ौदा ने दो बैंकों का अधिग्रहण किया। एक दक्षिणी गुजरात में Umbergaon People’s Bank और दूसरा तमिलनाडु राज्य में तमिलनाडु सेंट्रल बैंक।
इसके बाद सन 1965 में बैंक ऑफ बड़ौदा ने गुयाना में भी एक शाखा खोली। इसी वर्ष 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के कारण बैंक ऑफ बड़ौदा ने नारायणगंज में अपनी शाखा जो की पूर्वी पाकिस्तान है खो दी थी।
इसके सन 1969 में भारत सरकार ने बैंक ऑफ बड़ौदा सहित 14 टॉप बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया। बैंक ऑफ बड़ौदा ने युगांडा में अपने संचालन को 51% सहायक कंपनी के रूप में शामिल किया था जिसमें बाकी की सरकार मालिक थी।
इसके बाद सन 1972 में बैंक ऑफ बड़ौदा ने युगांडा में बैंक ऑफ इंडिया के संचालन का अधिग्रहण किया। इसके दो साल बाद बैंक ऑफ बड़ौदा ने दुबई और अबू धाबी में भी एक-एक शाखा खोली।
इसके बाद सन 1975 में बैंक ऑफ बड़ौदा ने उत्तर प्रदेश में बरेली कॉर्पोरेशन बैंक और उत्तराखंड में नैनीताल बैंक की अधिकांश हिस्सेदारी और प्रबंधन नियंत्रण हासिल कर लिया था। तब से, नैनीताल बैंक का विस्तार उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली राज्य में हो गया है। अभी बैंक ऑफ बड़ौदा की नैनीताल बैंक में 99% हिस्सेदारी है।
इसके बाद सन 1976 में बैंक ऑफ बड़ौदा ने एक ओमान में और एक ब्रसेल्स में शाखा खोली। इसके दो साल बाद बैंक ऑफ बड़ौदा ने एक न्यूयॉर्क में और दूसरी सेशेल्स में शाखा खोली। फिर सन 1979 में बैंक ऑफ बड़ौदा ने बहामास के नासाउ में एक शाखा खोली।
सन 1980 में बैंक ऑफ बड़ौदा ने बहरीन में एक शाखा और सिडनी, ऑस्ट्रेलिया में एक प्रतिनिधि कार्यालय भी खोला। इसके बाद बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन बैंक ने हांगकांग में IUB International Finance एक लाइसेंस प्राप्त जमाकर्ता की स्थापना की। तीनों बैंकों में से प्रत्येक ने बराबर हिस्सा लिया। और अंत में सन 1999 में बैंक ऑफ बड़ौदा ने अपने भागीदारों को खरीद लिया।
इसके बाद सन 1992 में बैंक ऑफ बड़ौदा ने मॉरीशस में एक OBU खोला। लेकिन सिडनी में अपना प्रतिनिधि कार्यालय बंद कर दिया। इसके बाद अगले वर्ष बैंक ऑफ बड़ौदा ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और पंजाब एंड सिंध बैंक की लंदन शाखाओं का अधिग्रहण किया। भारतीय रिजर्व बैंक ने 1987 में सेठिया धोखाधड़ी और उसके बाद के नुकसान में बैंकों की भागीदारी के बाद दोनों के अधिग्रहण का आदेश दे दिया था।
इसके बाद सन 1992 में बैंक ऑफ बड़ौदा ने केन्या में अपने संचालन को एक स्थानीय सहायक कंपनी में शामिल किया। अगले साल बैंक ऑफ बड़ौदा ने बहरीन में अपना OBU बंद कर दिया।
इसके बाद सन 1997 में बैंक ऑफ बड़ौदा ने डरबन में एक शाखा खोली।
इसके बाद सन 1999 में बैंक ऑफ बड़ौदा का एक अन्य बचाव में बरेली कॉर्पोरेशन बैंक में विलय हो गया। उस समय बरेली की 64 शाखाएँ थीं जिसमें से चार दिल्ली में थीं। इसके बाद गुयाना में बैंक ऑफ बड़ौदा ने बैंक ऑफ बड़ौदा गुयाना में एक सहायक के रूप में अपनी शाखा को शामिल किया। इसके बाद बैंक ऑफ बड़ौदा ने मॉरीशस में एक शाखा जोड़ी और लंदन में अपनी हैरो शाखा को बंद कर दिया।
साल 2000 में बैंक ऑफ बड़ौदा ने बैंक ऑफ बड़ौदा बोत्सवाना की स्थापना की। बैंक के तीन बैंकिंग कार्यालय हैं, दो गैबोरोन में और एक फ़्रांसिस्टाउन में। इसके बाद साल 2009 में बैंक ऑफ बड़ौदा न्यूजीलैंड पंजीकृत किया गया था। 2017 तक बैंक ऑफ बड़ौदा न्यूज़ीलैंड की 3 शाखाएँ हैं दो ऑकलैंड में एक वेलिंगटन में।
इसके बाद 17 सितंबर 2018 को भारत सरकार ने बैंक ऑफ बड़ौदा के साथ देना बैंक और विजया बैंक के विलय का प्रस्ताव दिया लेकिन तीनो बैंक के बोर्ड से अप्रूवल रुका हुआ था। इसके बाद 2 जनवरी 2019 को केंद्रीय मंत्रिमंडल और बैंकों के बोर्ड द्वारा विलय को मंजूरी दी गई थी।
इसके बाद विलय 1 अप्रैल 2019 को प्रभावी हुआ। 1 अप्रैल 2019 से प्रभावी विलय के बाद बैंक ऑफ बड़ौदा एसबीआई और आईसीआईसीआई बैंक के बाद भारत का तीसरा सबसे बड़ा ऋणदाता बन गया है।
30 सितंबर 2021 तक बैंक की शेयरधारिता संरचना इस प्रकार है।
Shareholders | Shareholding % |
Government of India | 63.97% |
Mutual Funds | 8.75% |
Insurance Companies | 5.75% |
Foreign Holding | 7.82% |
Indian Public | 13.24% |
Bodies Corporates | 1.01% |
Others | 1.30% |
FAQs
बैंक ऑफ बड़ौदा की स्थापना कब हुई थी?
बैंक ऑफ बड़ौदा की स्थापना 20 जुलाई 1908 को हुई थी।
बैंक ऑफ बड़ौदा की स्थापना किसने की थी?
बैंक ऑफ बड़ौदा की स्थापना बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ III ने की थी।
वर्तमान में बैंक ऑफ बड़ौदा का सीईओ कौन है?
वर्तमान में बैंक ऑफ बड़ौदा का सीईओ संजीव चड्ढा है।
बैंक ऑफ बड़ौदा का मालिक कौन है?
बैंक ऑफ बड़ौदा का मालिक महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ III है।
बैंक ऑफ बड़ौदा का मुख्यालय कहां है?
बैंक ऑफ बड़ौदा का मुख्यालय अलकापुरी वडोदरा में है।
बैंक ऑफ बड़ौदा सरकारी है या प्राइवेट?
बैंक ऑफ बड़ौदा सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक है।
बैंक ऑफ बड़ौदा की कितनी ब्रांच है?
बैंक ऑफ बड़ौदा की 8185 शाखाएं है।
बैंक ऑफ बड़ौदा के कितने एटीएम है?
बैंक ऑफ बड़ौदा के 13400 एटीएम है।
बैंक ऑफ बड़ौदा की प्रथम शाखा कहा थी?
बैंक ऑफ बड़ौदा की प्रथम शाखा मांडवी, बड़ौदा में थी।
मुझे उम्मीद है की ऊपर बताई गई बैंक ऑफ बड़ौदा की जानकारी आपको अच्छी लगी होगी। और आप अच्छे से समझ गए होंगे की बैंक ऑफ बड़ौदा का इतिहास क्या है? अगर अब भी आपका बैंक ऑफ बड़ौदा से सम्बंधित कोई भी सवाल हो तो आप हमे निचे कमेंट करके पूछ सकते है।
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